इराक की सेना ने एक सैन्य अभियान में ISIS के सीरिया प्रमुख अबू खदीजा को मार गिराया। इसकी पुष्टि इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी ने शुक्रवार को की। इस पूरे ऑपरेशन में अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन ने भी सहयोग दिया।
प्रधानमंत्री सुदानी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'अबू खदीजा इराक और दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादियों में से एक था।'
कभी इराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा करने वाला ISIS अब फिर से संगठित होने की कोशिश कर रहा है। 2014 में अबू बक्र अल-बगदादी ने इराक और सीरिया के एक बड़े हिस्से में खिलाफत का ऐलान किया था, लेकिन 2019 में वह अमेरिकी सेना के ऑपरेशन में मारा गया। इसके बाद संगठन का पतन शुरू हो गया।
सितंबर 2024 में ISIS के 37 आतंकी मारे गए थे
पिछले साल सितंबर में अमेरिका ने सीरिया में ISIS और अलकायदा से जुड़े आतंकी ग्रुप्स के ठिकानों पर हमला किया था। इसमें 37 आतंकी मारे गए। अमेरिकी सेना ने बताया था कि उन्होंने सीरिया में दो अलग-अलग दिन ऑपरेशन को अंजाम दिया।
US सेंट्रल कमांड के मुताबिक 16 सितंबर को मध्य सीरिया में ISIS के ट्रेनिंग सेंटर पर एयरस्ट्राइक की गई थी। इसमें 28 आतंकी मारे गए। इसके बाद 24 सितंबर को उत्तरी पश्चिमी सीरिया में हमला किया गया जिसमें अलकायदा ग्रुप के 9 आतंकी मारे गए।
अमेरिकी सेना के मुताबिक हमले में अलकायदा संगठन से जुड़ा हुर्रस अल-दीन का एक टॉप कमांडर ‘अब्द-अल-रऊफ’ मारा गया है। वह सीरिया में मिलिट्री ऑपरेशन्स की देखरेख करता था।
सीरिया में ISIS और अमेरिका के बीच संघर्ष क्यों छिड़ा है
सीरिया एक मुस्लिम बहुल देश है, जहां पर 74% सुन्नी और 10% शिया आबादी है। वॉइस ऑफ अमेरिका के मुताबिक फरवरी 1966 में सीरिया में तख्तापलट हुआ। उस समय सीरिया के वायु सेना कमांडर हाफिज अस असद भी इसमें शामिल थे। तख्तापलट के बाद हाफिज को सीरिया का रक्षा मंत्री बनाया गया।
चार साल बाद 1970 में हाफिज असद ने एक और तख्तापलट किया और राष्ट्रपति सलाह हदीद को हटाकर उनकी जगह ले ली। हाफिज असद ने बाथ पार्टी को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों को खत्म कर दिया। उन्होंने अपने विरोधियों मरवा दिया और सत्ता में चुन-चुनकर शिया लोगों को जगह दी।
मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के मुताबिक हाफिज असद ने रूस से बेहतर संबंध बनाए। हाफिज ने साल 1981 में इराक के खिलाफ जंग में ईरान का साथ दिया और ईरान से बेहतर संबंध कायम किया। साल 2000 में हाफिज असद की मौत हो गई जिसके बाद उनकी जगह उनके बेटे बशर अल-असद ने संभाली।
2011 में सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए
साल 2011 में अरब देशों में सत्ता विरोधी लहर शुरू हो गई। मार्च 2011 में यह सीरिया तक पहुंच गई। बहुसंख्यक सुन्नी आबादी बशर अल असद को सत्ता से हटाने के लिए प्रदर्शन करने लगी। बशर अल असद ने सुरक्षा बलों को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों को दबाने का आदेश दिया, लेकिन प्रदर्शन नहीं रुके।
सीरियाई सेना के कई जवान प्रदर्शनकारियों के साथ मिल गए और बसद को हटाने के लिए अभियान चलाने लगे। इसके नाराज होकर सीरिया के राष्ट्रपति ने सड़कों पर टैंक उतार दिए। अपने ही देश में लोगों पर बम गिराए और रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया।