प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पॉडकास्टर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत के दौरान मध्यप्रदेश के शहडोल जिले की अपनी यात्रा को याद किया। उन्होंने बताया कि वहां उन्होंने करीब 80 से 100 बच्चों और युवाओं को स्पोर्ट्स कपड़ों में देखा। जब उन्होंने उनसे पूछा कि वे कहां से हैं, तो बच्चों ने जवाब दिया- 'मिनी ब्राजील' से हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि, जब उन्होंने 'मिनी ब्राजील' का अर्थ पूछा तो बच्चों ने बताया कि, उनके गांव में हर परिवार चार पीढ़ियों से फुटबॉल खेल रहा है। गांव से अब तक करीब 80 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकल चुके हैं। बच्चों ने यह भी बताया कि, जब गांव में वार्षिक फुटबॉल मैच होता है, तो आसपास के क्षेत्रों से 20 से 25 हजार दर्शक उसे देखने आते हैं।
पीएम मोदी मन की बात में कर चुके हैं जिक्र 30 जुलाई 2023 को प्रसारित हुए मन की बात के 103वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहडोल जिले के बैगा आदिवासी बहुल गांव विचारपुर को लेकर कहा था- यह फुटबॉल के लिए अपनी एक अलग पहचान रखता है। इसे मिनी ब्राजील के नाम से भी जाना जाता है।
यहां हर दूसरे घर में आपको फुटबॉल के नेशनल प्लेयर मिल जाएंगे। इस एपिसोड के पहले जब पीएम मोदी शहडोल दौरे पर आए थे तो उन्होंने इन फुटबॉल खिलाड़ियों से पकरिया गांव में मुलाकात की थी और अब उसे मन की बात में भी बताने के बारे में कहा था।
शहडोल का विचारपुर है 'मिनी ब्राजील' मन की बात में पीएम मोदी ने कहा था कि, मैं आपको मध्य प्रदेश के एक इंस्पायरिंग जर्नी के बारे में बताने जा रहा हूं। यह जर्नी है मिनी ब्राजील की। आप सोच रहे होंगे कि मध्यप्रदेश में मिनी ब्राजील कहां से आ गया तो यही तो ट्विस्ट है। एमपी के शहडोल में एक गांव है विचारपुर। जिसे मिनी ब्राजील कहा जाता है। क्योंकि यह गांव आज के फुटबॉल के उभरते सितारों का गढ़ बन गया है।
शहडोल दौरे के वक्त खिलाड़ियों से मिले थे पीएम मोदी पीएम ने आगे कहा कि जब कुछ हफ्ते पहले मैं शहडोल गया था तो वहां मेरी मुलाकात ऐसे बहुत सारे फुटबॉल खिलाड़ियों से हुई थी। मुझे लगा कि इस बारे में हमारे देशवासियों को और खासकर युवा साथियों को जरूर जानना चाहिए। विचारपुर के मिनी ब्राजील बनने की यात्रा दो ढाई दशक पहले शुरू हुई थी। उस दौरान ये विचारपुर गांव अवैध शराब के लिए बदनाम था। नशे की गिरफ्त में था।
इस माहौल का सबसे बड़ा नुकसान यहां के युवाओं को हो रहा था। एक पूर्व नेशनल प्लेयर और कोच रईस अहमद ने इन युवाओं की प्रतिभा को पहचाना। रईस जी के पास संसाधन पूरे नहीं थे, लेकिन उन्होंने पूरी लगन से युवाओं को फुटबॉल सिखाना शुरू किया। कुछ साल के भीतर ही यहां फुटबॉल इतनी पॉपुलर हो गई कि विचारपुर गांव की पहचान ही फुटबॉल से होने लगी।
एक गांव से ही निकले 40 से ज्यादा खिलाड़ी अब यहां फुटबॉल क्रांति नाम से एक प्रोग्राम भी चल रहा है। इस प्रोग्राम के तहत युवाओं को इस खेल से जोड़ा जाता है और उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है। यह प्रोग्राम इतना ज्यादा सफल हुआ है कि विचारपुर में नेशनल और स्टेट लेवल के 40 से ज्यादा खिलाड़ी निकले हैं। यह फुटबॉल क्रांति अब धीरे-धीरे पूरे क्षेत्र में फैल रही है।